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कांगो जोहड़ी में ही मुख्य सड़क से लगभग चार किमी नीचे की उतराई पर कैंप रोंक्स हमारी मंजिल है | हमे रास्ता दिखाने रिसोर्ट की तरफ से अपनी इनोवा गाड़ी लेकर सौरभ ( इस कैम्प के मालिक का बेटा} आया है और अब हमे इस कच्ची और पथरीली सडक पर बिना किसी सुरक्षा व वाले रास्ते पर जाना है | इस सडक पर गाड़ी बढ़ाते ही लैंसडाउन के हिल व्यू शांति राज रिसोर्ट की याद ताजा हो आई | बिलकुल वैसी ही सड़क मगर रास्ता उससे भी एक किमी और ज्यादा लम्बा, ऊपर से बारिश और गाड़ियों की लगातार आवाजाही के कारण बीच बीच में पानी के पोखर से बन गए हैं जिनमे से गुजरते डर लगता है कहीं आप की गाड़ी का पहिया न फँस जाये, मगर इसके सिवा कोई और चारा भी तो नही | नास्तिक पता नही कैसे इन लम्हों से पार पाते होंगे, मगर हम तो राम राम और वाहेगुरु वाहेगुरु करते और फिर से एक बार ये सोचते हुये कि इस बार तो यहाँ आ गए अगली बार किसी ऐसी जगह नही आना, पिछले कुछ सालों से इसी तरह से अपने डर पर काबू पाते आ रहें है | रिसोर्ट की इनोवा आगे आगे चल रही है और पीछे पीछे हम मगर अभी तक तो रिसोर्ट का नामो निशाँ ही नही | मगर फिर दूर नीचे घाटी में पानी की कुछ टँकियां नजर आती है तो मन में आशा की एक नई लहर का संचार होता है जब इतना पहुँच गए तो वहाँ भी पहुँच ही जायेंगे और फिर हमसे आगे तो इनोवा है | हालांकि प्रकृति वही है और प्रकृति के नजारे भी, मगर अब जल्दी पहुँचने की हसरत में इसे भोगने का कोई इरादा नही, अन्यथा आप कहीं भी अपनी गाड़ी रोक कर यहाँ घंटो गुजार सकते हैं | परन्तु चाहत अब यही है कि बस अब ये रास्ता किसी तरह जल्दी से कट जाये |