पिछली कड़ी में मैं आपसे जिक्र कर रहा था की किस तरह से मुसीबतों को पार करते हुए अंततः हम लोग रहाला फाल पहुंच ही गए, और फिर सिलसिला शुरू हुआ बर्फ में खेलने का, बर्फ में फिसलने का. उम्रदराज प्रौढ़ दम्पतियों को बच्चों की तरह बर्फ से खेलते हुए देखने में जो मज़ा आ रहा था उसका वर्णन करना मुश्किल है. लगभग सभी लोग बच्चे बने हुए थे, हर कोई इन यादगार पलों को जी लेना चाहता था. हम सब भी अपनी ही मस्ती में खोए हुए थे, किसी को किसी का होश नहीं था. बच्चे अपने तरीके से बर्फ से खेल रहे थे और बड़े अपने तरीके से, मकसद सबका एक था....आनंद आनंद और आनंद.
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